हमारे देश में सदियों से अपने अतिथियों को भगवान का दर्जा मिला और आज भी यह परंपरा चली आ रही है जब हमारे देश अंग्रेजों का गुलाम था उसके बावजूद भी यह परंपरा चलती रही फिर जब हम जैसे ही अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त तो उसके बाद से देश में एक नई पहल चालू की गई थी कि हर गणतंत्र दिवस पर किसी देश के राष्ट्रीय प्रमुख को गणतंत्र दिवस का अतिथि बना कर अपने देश आने का न्योता दिया जाएगा और वह परंपरा आज भी चली आ रही है हर साल की तरह इस साल भी हमारे देश अतिथि के रूप में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अतिथि के रूप में नरेंद्र मोदी जी ने आमंत्रित किया प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आमंत्रण को स्वीकार कर आने पर हामी भरी यह न्योता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दिसंबर में बोरिस जॉनसन को दिया था जैसे ही ब्रिटेन प्रधानमंत्री ने हामी भरी तो हमारे देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर में खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह दौरा ब्रिटेन और भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत होगा
लेकिन कुछ कारणवश ब्रिटेन प्रधानमंत्री ने अचानक मोदी जी को कॉल करके जानकारी दी कि वह गणतंत्र दिवस के समारोह पर आने में असमर्थ हैं आइए जानते हैं कि आखिर किस वजह से नहीं आ पा रहे ब्रिटेन प्रधानमंत्री भारत-
ब्रिटेन प्रधानमंत्री डोरस जॉनसन ने मोदी जी को कॉल करके जानकारी दी कि ब्रिटेन में नया कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है और जिसके चलते लॉकडाउन करना पड़ा और यह भी कहा कि फरवरी के मध्य तक नया नेशनल लॉक डाउन करने की तैयारी है इस स्थिति में विदेश के नागरिकों को छोड़कर जाना सही नहीं समझते इसलिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर आने से मना किया
इतिहास - सबसे पहले यह पहल 1950 में चालू की गई जब उसके समय इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो देश के पहले अतिथि बन कर भारत आए तब से लेकर आज तक यह परम्परा चलती आ रही है बस 1952,1953 व 1966 में किसी भी देश के राष्ट्रप्रमुख को नहीं बुलाया गया .
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